साल 2019 में दुनियाभर में कोरोना वायरस का हाहाकार मचा हुआ था। अभी यह खतरा टला ही नहीं था, इस बीच एक पुराने वायरस ने दस्तक दे दिया है। 48,500 साल से बर्फ के नीचे जमा हुआ ‘जॉम्बी वायरस’ फिर से जिंदा हो चुका है।
यूरोप के साइंसदांनो ने रूस के साइबेरिया में पर्माफ्रॉस्ट में कुछ बैक्टीरिया और वायरस के सैंपलों का टेस्ट किया गया था, जिसमें कई वायरस के एक्टिव होने की जानकारी मिली है। उसमें एक जॉम्बी वायरस’ मोजूद है, वैज्ञानिकों मानना है कि किजलवायु परिवर्तन के वजह से कई प्राचीन वायरस फिर से जिंदा हो रहे है।
साइंसदांनो के मुताबिक, ये वायरस कई हजार सालों से जमीन के नीचे दबे रहने के बावजूद भी एक्टिव है। जिसमें इंसान और जानवरों को भी नुकसान हो सकता है, इस वायरस को पैंडोरावायरस कहते हैं। जॉम्बी वायरस की उम्र तकरीबन 48,5000 साल से ज्यादा है।
वैज्ञानिकों की एक टीम ने 2013 में वायरस की रिसर्च की है, जिसमें 30 हजार से साल से पुराना था। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘Zombie Virus’ 48,5000 साल पुराना है, और ये अब फिर से एक्टिव हो गया है, जो के दुनियाभर के लिए एक नया खतरा साबित हो सकता है।
क्या है ‘जॉम्बी वायरस’?
जॉम्बी वायरस 48,500 साल पहले बर्फ के एक झील में दबा हुआ था। अब यह फिर से एक्टिव हो गया है, इस वायरस से पशु-पक्षी-मनुष्य इस वायरस के चपेट में आ सकते हैं। दुनियाभर में किसी भी प्रकार का जानवर इस को फैला सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के वजह से बर्फ के पिघलने से इस ने दुनिया में आया, साइंसदांनो का दावा है कि यह वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है ।
इंसान को इस से क्या खतर हो सकता है ?
वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस फिर से एक्टिव होने के कारण इस से इंसानों के लिए खतरा बढ़ सकता है। इस वायरस के बारे में हमें एक्सपर्ट् से मालूम हुआ है कि महामारी के विशेषज्ञ डॉ जुगल किशोर कहना है कि कोरोना वायरस दुनिया में आने के बाद से दुनियाभर में अलग-अलग प्रकार के वायरस की जांच के लिए सर्विलांस बढ़ गया है।

और कागे कहते हैं कि इसी वजह से ऐसे वायरस की पहचान हुई है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पुराने वायरस फिर से एक्टिव हो रहे हैं ।
डॉ किशोर कहना है कि लोग अपने खुदगर्ज़ी के लिए जंगलों को काटने में लगे हैं। और जानवरों का आशियाना कर रहे हैं। लोग ऐसी जगह भी जा रहे हैं जहां पहले सिर्फ जंगल या फिर जानवर थे।
ऐसे इलाकों में इंसान जाने से वायरस के संपर्क में आ रहे रहैं फिर जॉम्बी जैसे वायरस एक्टिव हो रहे हैं। डॉ किशोर का कहना कि अभी कहा नहीं जा सकता है कि जॉम्बी वायरस मानवी जीवन के लिए खतरा होगा या नहीं।
क्योंकि पहले कभी इस वायरस का कोई केस मानव में देखा नहीं गया है। फिलहाल तो इस वाययरस के बारे में कहना जल्दबाजी होगा। अगर ये वाययरस वातावरण में आता है तो फिर देखना होगा कि इसकी संक्रामकता कैसी है। क्या ये बिना बर्फ वाली जगह पर वाययरस जिंदा रह भी सकता है या नहीं। इसीलिए इस से पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है।
ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ सकता है खतरा (Global Warming)
ग्लोबल वार्मिंग के वजह से वैज्ञानिकों को इस भयानक जॉम्बी वायरस के वजूद का पता चला। रूस के वैज्ञानिकों इस वायरस को बर्फ की जगह से खोजे कर निकाला है। ग्लोबल वार्मिंग के वजह से बर्फ पिघल रही है।
अगर ऐसे में यह वायरस सतह पर आता है तो इस वाययरस से निपटने के लिए कुछ खोज करना जरूरी है। फिर रूसी वैज्ञानिकों ने इसी मकसद से अगर वायरस को बाहर निकाला। लेकिन वुहान की छोटी सी लैब से कोरोना वायरस निकाला था वैसे ही इस वायरस के बाहर आने से पूरी दुनिया को सताया जताया जा रहा है।